Tuesday, 22 July 2008

जिंदगी की जद्दोजहद

जिंदगी की जद्दो जहद, एक मुकाम पाने की हसरत, नाकामयाबियों का डर इन सभी मुश्किलों पर काबू पाया जा सकता है बशर्ते हमारी हौसलाफजाई की जाऐ, हमारे अपने हमारे साथ हो वो अपने जिन्हें हम रिश्तो की नाज़ुक डोर मे बाँध के रखते हैं और उनसे इतनी उम्मीदें बाँध लेते है की जब उन उम्मीदों की नींव दरकती है तो पूरा आशियाँ एक खामोश शोर के साथ ढेर हो जाता है उम्मीदों के इस मलबे मे जब हम खुशियाँ तलाशते है तो हाथ लगते है करीने से सजाए गए यादों के कुछ बोसीदा से टुकड़े जिनमे इतना माद्दा तो रहता है की वो आँखों में नमी और चेहरे पर तंज़ भरी मुस्कराहट की लकीर खीच सकें और तब इन्सान के लिए दोबारा जिंदगी समेट पाना बेहद मुश्किल हो जाता है दो ही रस्ते बचते हैं या तो नई शुरुआत करें या फिर पुराने रिश्तो को एक मौका और दे आप ही बताएं आपको क्या लगता है ?